Facts About Shodashi Revealed

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

Quite a few good beings have worshipped areas of Shodashi. The good sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali during his entire existence, and at its culmination, he compensated homage to Shodashi as a result of his possess spouse, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in observing the divine in all beings, and especially his lifestyle partner.

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

Charitable functions for example donating food items and clothes to the needy will also be integral to the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate aspect of the divine.

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं

क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि

Shodashi Goddess is without doubt one of the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of wisdom. Her identify means that she will be the goddess who is always 16 yrs outdated. Origin of Goddess Shodashi takes place immediately after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

नाना-मन्त्र-रहस्य-विद्भिरखिलैरन्वासितं योगिभिः

About the fifth auspicious working day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated as being the legends say that this was the day if the Goddess emerged from fireplace to eliminate the demon Bhandasura.

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual growth as well as the attainment of worldly pleasures and comforts.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के click here हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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